लक्ष्य कितना भी बड़ा हो... लेकिन संकल्प दृढ़ हो तो पत्थर पर भी पेड़ उगाए जा सकते हैं... कुछ ऐसा ही नजारा बिहार के भोजपुर में देखने को मिल रहा है... जहां स्ट्रॉबेरी की खेती की जा रही है...
पारंपरिक खेती से हटकर-
किसानों ने हाल के दिनों में पारंपरिक खेती से ऊपर उठकर व्यवसायिक खेती को भी अपनाना शुरु कर दिया है.... भोजपुर जिले में जहां कल तक अन्य प्रांतों में उपजे स्ट्रॉबेरी का स्वाद लोग चखने थे..वहां अब भोजपुर जिले में उत्पादित स्ट्रॉबेरी का स्वाद ले रहे हैं...पूर्व सांसद आर के सिन्हा बहियारा स्थित अपने पैतृक गांव में जैविक विधि से... स्ट्रॉबेरी की खेती करा रहे हैं... जिसका मकसद किसानों की आय को बढ़ाना तो है ही... साथ ही स्वस्थ समाज भी बनाना है.....यह स्ट्रॉबेरी पूरी तरह जैविक कृषि से तैयार है... और इसकी मांग राजधानी पटना के अलावा आसपास के जिलों में सबसे ज्यादा है...
किसानों को अच्छी आमदनी-
फार्म के केयरटेकर धर्मेंद्र पांडे बताते हैं कि... बहियारा में तैयार हुई स्ट्रॉबेरी की क्वालिटी बहुत ही बेहतर है......उन्होंने बताया कि एक पेड़ को लगाने की कीमत करीब ग्यारह रुपये आती है... और एक पौधे में लगभग दो किलो स्ट्रॉबेरी के तैयार फल निकलते हैं...जिसे व्यापारियों को 600 से 700 रुपये प्रति किलो बेच दिया जाता है..
प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार-
स्ट्रॉबेर्री इम्मयूनिटी सिस्टम को बढ़ाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला एक दुर्लभ फल है... जिसकी मांग पूरी दुनिया में तेजी से बढ़ रही है..यही कारण है कि मौसम अनुकूल ना होने के बावजूद.. भोजपुर में जैविक विधि से हो रही स्ट्रॉबेरी की खेती की चर्चा बिहार में खूब हो रही है....
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